Thursday, November 11, 2010

ब्लॉग्गिंग का जीवन चक्र

ब्लॉग्गिंग का जीवन चक्र
प्रथम चक्र --दोस्त खोजकर न्योता भेजना (Send invitation) या दोस्त का आवेदन मिलना (Getinvitation)
द्वितीय चक्र -- बहुत खुश होना तथा कुछ दिन तक रोज़ना लिखना तथा Reply पाना
त्रितीय चक्र -- कुछ दिन पश्चात Replyआना बन्द फिर मन में ख्याल आना कि पहले वो लिखे तब ----
चतुर्थ चक्र-- दोस्त सिर्फ FriendList की शोभा बढाते हैं (Number of Friends inFriendList)
पांचवा तथा अंतिम चक्र -- दोस्त साथ में होते हुयेभी बहुत दूर चला जाता है।।।
मेरे और आपके साथ ऐसा ना हो इसीलियेमेरी गुज़रिश है ...........कि............

4 comments:

  1. अभी तो चक्कर बताया, ऐसा वहीँ होता है जो लोग अपने काम के प्रति जागरूक नहीं होते ...ब्लॉग्गिंग में ऐसा फिलहाल नहीं है ...जहाँ तक में सोचता हूँ ..शुक्रिया

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  2. कौशल जी ऐसा ही होता है। सब स्वार्थ के रिश्ते हैं। कोई किसी का नहीं ये झूठे , नाते हैं, नातों का क्या ! कसमे वाde प्यार वफ़ा सब बातें हैं , बातों का क्या !

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  3. sir, chakkar to har jagah hay..jo kuchh hay wo pahle nahi tha..jo kuchh hay baad me nahi rahega..asal me sabhi chijon ki sakl badal hin jati hay..aur kabhi kabhi hamara mizaz bhi ukhda ukhda rahta hay...

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