Sunday, November 21, 2010

एक मासूम कुत्ते की क़ुरबानी

एक मासूम कुत्ते की क़ुरबानी
एक बार एक कुत्ते को बकरा ईद से कुछ दिन पहले सपना आया
एक कुत्ते ने उस से पूछा
बड़े कुत्ता भईए एक बात पुछु
कुत्ता भाई बोले पूछ भाई
भाई हमारी जो कुत्ता बिरादरी है
उसकी जो आदमी लोग है कोइए izaat नहीं करते है
बस एक तमगा दे रखा है की कुत्ता एक वफादार जानवर है
अब देखो कुछ दिन बाद बकरा ईद पर बहुत से जानवर भाई
अपने अपने क़ुरबानी देगे लेकिन
हम कुत्ता बिरादरी से किसी को भी
नहीं bulaya गया है भाई यह कुत्ता समाज के लिए शर्म की बात है
हम सब kutta samaj ko पानी में डूब कर मर जाना चाहए
भैसे की क़ुरबानी ,बकरे की क़ुरबानी ,उट की क़ुरबानी ,
कुत्ता की क़ुरबानी नहीं होती है ,शेर की क़ुरबानी नहीं होती है ,चीते की क़ुरबानी नहीं होती है ,गजराज की क़ुरबानी नहीं होती है , इन सब से खतरा रहता है .
बस जो इन सब को खा नहीं सकता है बस उसकी क़ुरबानी होती है
क़ुरबानी hamesa लाचार की होती --------------

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