किसी ने जीना सीख लिया, किसी ने पीना सीख लिया ब्लॉग जगत से कुछ लोग जीना सीख लेते है , बहुत कुछ अच्छा लेखन मिल जाता है , जिंदगी को सही तरीके से जीने का , नहीं तो दो पेग पीकर चुपचाप सो जाओ ,
जब सर्दी की दोपहर में एक सोया फूल खिल उठता है.... दूर देस के प्रवासी पंछी मेरे तालाब में आटे है...... और ओस के नन्हे मोती तालाब में फैली जल कुम्भी पर मुस्कुराते हैं..... भैया जी, एक अरसे से इन्ही से ही जीना सीख लिए हैं.....
और उसी तलाब किनारे जो कुत्तिया के छोटे छोटे बच्चे - जो 'पाप' का दूध पी कर उधम मचाते है..... तो कसम खुदा की, उन्हें देख कर अपनी दारू का नशा भी उतर जाता है.
नहीं। जीना ही ठीक है। पीना तो उसे भी बंद करा देगा।
ReplyDeleteनहीं। जीना ही ठीक है। पीना तो उसे भी बंद करा देगा।
ReplyDeletesahi kaha manoj ji photo badal diye hai ka.
मजे तो मिल ही रहे है भैया. मगर जब बैठिये तो इस नाचीज को याद करियेगा जरूर....
ReplyDeleteजिंदगी को सही तरीके से जीने का ..
ReplyDeletepar yah sahi tareeka peene walon ko kahan se aayega? unke liye to wahi sahi tareeka hai...
@किसी ने जीना सीख लिया, किसी ने पीना सीख लिया
ReplyDeleteजब सर्दी की दोपहर में एक सोया फूल खिल उठता है.... दूर देस के प्रवासी पंछी मेरे तालाब में आटे है...... और ओस के नन्हे मोती तालाब में फैली जल कुम्भी पर मुस्कुराते हैं..... भैया जी, एक अरसे से इन्ही से ही जीना सीख लिए हैं.....
और उसी तलाब किनारे जो कुत्तिया के छोटे छोटे बच्चे - जो 'पाप' का दूध पी कर उधम मचाते है..... तो कसम खुदा की, उन्हें देख कर अपनी दारू का नशा भी उतर जाता है.
Hmmmm aur jisne pee k jeena shuru kia...wo sabse bada kaam kar gaya..are janaab mera aashaya gham peene se h na k .. :)
ReplyDeleteसही है..सो जाते हैं. :)
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