Friday, December 17, 2010

हम है रही प्यार

हम है रही प्यार के हम से कुछ न बोलिए ,
जो भी प्यार से मिला हम उसी के हो लिए।
आज कही से यह दो लाइन जुबान पर आ गयी
मन को भा गयी
शायद आप को आच्छी लगे
आज का यही सन्देश है

6 comments:

  1. हम भी है राही प्यार के.........
    हमरे बारे में भी सोचिये.........



    “दीपक बाबा की बक बक”
    दर्द का खरीददार हूं, कविता.........

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  2. हम भी है राही प्यार के

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  3. मेरी मनपसंद लाइने...शुक्रिया !

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  4. निस्संदेह प्यार का ही राही होना चाहिए...

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  5. आज प्यार के राही होने की ही आवश्यकता है..

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