लो भाई लोगों, आजकल ब्लॉग जगत में दर्द के बहुत खरीदार घूम रहे हैं. दीपक बाबा ने तो कविता लिख ली. दूसरे हैं, सतीश सक्सेना जी, और डॉ. अरविन्द मिश्र........ जो ब्लॉग जगत का दर्द सीने में लगाए गली गली घूम रहे हैं.......... परेशान हैं और ब्लोग्गर भी..... ऐसा लगता है किसी पान की दूकान को नगर निगम का दस्ता गिरा गया हो – और सारे बुद्धिजीवी बेकार हो गए है.
परेशान है, कहा जाता है की शरीफ आदमी को उसके काम से नहीं रोकना नहीं. चिट्टा जगत के धडाधड महाराज – कोमा में है. कल तक यही ब्लोग्गर चिट्टा जगत जो पानी पी पी कर कोसते थे........ उसकी कमीज़ मेरी कमीज़ से सफ़ेद कैसे.......... मेरे फ्लोव्र्स ज्यादा है........ तो मेरा सक्रियता क्रामंक ज्यादा क्यों. वो मेरे से आगे क्यों....... में उसके पीछे क्यों ? लो भाई तुमने मन की कर ले. उस शरीफ धडाधड महाराज नें भी मन की कर ली. चले गए बोरिय बिस्तर लपेट कर. खुदे कर लो ... अपनी सक्रियता क्रामंक कम या ज्यादा.... कोई पैसा तो ले नहीं रहे थे....... उपर से बातें अलग सुन रहे थे.
ये दर्द है......... सभी ब्लोगर्स भाइयों का....... कहाँ जाकर दरख्वास्त करें....... कहीं कोई सुनवाई नहीं है. सक्सेना साहेब तो कल से बिलकुल मजनू से हो गए है. – सुबह दीपक बाबा मिले थे...... दाढी बड़ा रखी है परेशान हैं..... ....... रात को नींद भी नहीं आये...... सपने में वही धडाधड महाराज और ब्लॉगवाणी घूमती रही......... सुबह आते ही पोस्ट ठेल दी.... पर क्या किया जा सकता है....... जब धडाधड महाराज ही नहीं हैं तो बहुत से लोगों तक अपनी बात पहुँचाना भी दुष्कर कार्य है.
सही में अब तो हम भी जब्त किये बैठे थे........ पर अब मन दोल गया ..... और ये ठेल दी.
wah bhai sahab!
ReplyDeleteachchha kaha aapne.
magar likhas hai ki manti hi nahi..
मिसिर जी, सही लपेट रहे हो ........ अभी 'मजनू' भी आ रहे होंगे ....... वही जवाब देंगे..
ReplyDelete@ पुरविया
ReplyDelete@ बाबा
तुम जैसे जवान होंगे घर में, तो हमें ही मंजनू बनाना पड़ेगा ....
दिन ही बुरे हैं घर के बच्चों को क्या दोष दें ..
सही है! लगे रहो दोनों यही पर :-(
लग तो ऐसे ही रहा है जैसा आपने कहा है कि ऐसा लगता है किसी पान की दूकान को नगर निगम का दस्ता गिरा गया हो, जब धडाधड महाराज ही नहीं हैं तो बहुत से लोगों तक अपनी बात पहुँचाना भी दुष्कर कार्य है!
ReplyDeleteटूटी पान की दूकान के बाहर फूटपाथ पर , हमारे पुरविया और दीपक बाबा सर पर हाथ रखे ,दूसरों की चिंता में घुल रहे हैं कि इनके पान का क्या होगा ....की चिंता कर रहे हैं ! जय हो महाराज !
ReplyDeleteवैसे लिखा बढ़िया है ! !
@इनके पान का क्या होगा
ReplyDeleteहमरे तो वैसे ही बेकार पान है.......... जो लोग बढिया पान खिलाते थे..... उनका क्या होगा.? सक्सेना जी पहले उनकी चिंता कीजिए.
हमें तो बाबा और पुरविया की दूकान का ही पान अच्छा लगता है ...धक्का काहे दे रहे हो यार !
ReplyDeleteवैसे ही सर फटा जा रहा है आज ..
कल शाम छत्तीस गढ़ भवन में कुछ गरम शर्म मीटिंग है चलोगे ...तुम्हारे साथ ठीक रहेगा !
चलने का मन हो तो फोन कर लेना
आप तो आइसे बात कर रहे हैं जैसे आपका फोन न. १०० या १०१ हो.......
ReplyDeleteबाबा !
ReplyDeleteतुम थानेदार क्यों नहीं बन जाते यार !
९८११०७६४५१
ब्लोगवाणी तो बहुत दिन से कोमा में है ...अब धडाधड बाबा भी ...लग रहा है की छूत की बीमारी है ..तेज़ी से फ़ैल रही है ...
ReplyDeleteहो सकता है बाबा का कोमा जल्दी टूटे ..उम्मीद पर दुनिया कायम है ..
दुआ कीजिए कि ये 'कोमा'"फुलस्टाप" में न तब्दील होने पाये :)
ReplyDeleteबाप रे मसला सक्रियता क्रामंक, अधिक फ्लोव्र्स और टिपण्णी पाने का है..मैं समझा लोग परेशान हैं की उनकी बात अधिक लोगों तक नहीं पहुँच रही. और ऐसा हो भी नहीं सकता एक sms जोक पे बेहतरीन title दाल के ठेलम ठाल कर के ७०-८० टिपण्णी तो इन्ही धडाधड महाराज के कारण मिल जाया करती थीं.
ReplyDeleteअब क्या तुम मेरी खुजाओ मैं तुम्हारी.
कल रात लोगों की परेशानी देख कर लगा कि हमें भी परेशान हो जाना चाहिए। आखिर इसी समाज में रहना है।
ReplyDeleteमिसिर जी,
ReplyDeleteअमां पान की दुकान पर बीड़ा बंधा या नहीं, लेकिन मजा बांध दिये हो गुरू।
आज का इकलौता कमेंट तुम्हारी, सॉरी आपकी, नजर।
सतीश सक्सेना said...
ReplyDelete@कल शाम छत्तीस गढ़ भवन में कुछ गरम शर्म मीटिंग है चलोगे ...तुम्हारे साथ ठीक रहेगा ! चलने का मन हो तो फोन कर लेना
सतीश जी माफ़ी चाहूँगा...... बात कर के मुकर रहा हूँ, कुछ व्यक्तिगत करणवश आपके साथ नहीं चल पाए.
bhut hi sarthk post
ReplyDeleteचिट्ठाजगत में कोई तकनीकी खराबी लगती है।
ReplyDeleteब्लॉगवाणी व चिठ्ठाजगत की समस्यायें यदि पोस्ट के माध्यम से आयें तो अच्छा रहेगा।
ReplyDeleteकई लोग बेताब हैं…, दुखी हैं, उद्विग्न भी हैं… चिठ्ठाजगत से सम्पर्क करने की कोशिश भी नाकाम है मेरी तो…
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