Tuesday, December 13, 2011

देश बदल रहा है अंदर ही अंदर..............

देश बदल रहा है अंदर ही अंदर कुछ सुलग रहा है

जनता समझ रही है सरकार अंदर ही अंदर समझ रही है

लेकिन न तो सर्कार कुछ कर पा रही है और न ही जनता कुछ कर पा रही है.

कल बुद्धू बक्से के सामने बैठे थे कुछ देख रहे थे ब्रेक के टाइम पर कुछ कंपनिया

अपने अपने product  का प्रचार कर रहे थे देख कर कुछ नया सा लगा

देश बदल रहा है और प्रचार का माध्यम भी बदल रहा है

जनता कही न कही देश के अंदर बदलाव की चाहत  रखती है

जो जहाँ है वही पर अपने अपने हिसाब से देश मैं बदलाब के लिया

काम कर रहा है.......हम और आप अगर कुछ कर सकते है तो कुछ न कुछ करे

जय हिंद जय भारत ..........

जय बाबा बनारस .....

8 comments:

  1. घटनाक्रम की गति कभी कभी उद्वेलित कर देती है।

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  2. हम और आप अगर कुछ कर सकते है तो कुछ न कुछ करे

    जय हिंद जय भारत
    जय बाबा बनारस..

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  3. sab kuchh badal raha hai ...jai banaras baba...abhaar

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  4. लगता है अपना हिन्दुस्तान भी ऐसे ही चल रहा है और ऐसे ही चलता रहेगा ... यथार्थ लिखा है आपने ...

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  5. बदलाव की आंधी ही तो ही जो अब मंत्री लोंगों को भी आम जनता का थप्पड़ पड़ने लगा है. बहुत खूब.....

    शहर कब्बो रास न आईल

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  6. जो जहां हैं वहीँ से अपने अपने स्तर पर परिवर्तन के लिए प्रतिबद्ध हों तो निश्चित बात बनेगी...!
    जय हिंद जय भारत!
    जय बाबा बनारस!

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  7. जब पूरा जीवन पीड़ा के दामन में ढल जाता है
    तो सारा व्याकरण पेट की अगनी में जल जाता है
    जिस दिन भूख बगावत वाली सीमा पर आ जाती है
    उस दिन भूखी जनता सिंहासन को भी खा जाती है

    मेरी पीढ़ी वालो जागो तरुणाई नीलाम न हो
    इतिहासों के शिलालेख पर कल यौवन बदनाम न हो
    अपने लोहू में नाखून डुबोने को तैयार रहो
    अपने सीने पर कातिल लिखवाने को तैयार रहो

    हम गाँधी की राहों से हटते हैं तो हट जाने दो
    अब दो-चार भ्रष्ट नेता कटते हैं तो कट जाने दो
    हम समझौतों की चादर को और नहीं अब ओढेंगे
    जो माँ के आँचल को फाड़े हम वो बाजू तोड़ेंगे

    अपने घर में कोई भी जयचंद नहीं अब छोड़ेंगे
    हम गद्दारों को चुनकर दीवारों में चिन्वायेंगे
    बागी हैं हम इन्कलाब के गीत सुनाते जायेंगे

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  8. jaroor sabki bhagidari honi chahiy

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