Friday, May 11, 2012

हिंदुओं का दमन और चुपचाप हम

द. एशिया में हिंदुओं का दमन और चुपचाप हम 
तरुण विजय 

एक समय था, जब संपूर्ण पूर्वी एशिया पर 700 वर्षों से अधिक लंबे कालखंड तक हिंदू सम्राटों ने एकछत्र राज्य किया था और उनके स्वर्णिम शासन काल पर यूनेस्को ने पेरिस से श्री विजय एम्पायर, ऐतिहासिक सचित्र ग्रंथ भी प्रकाशित किया। कम्बोडिया, लाओस, वियतनाम, इंडोनेशिया और विशेषकर वहां के जावा और बाली द्वीप, सिंगापुर (मूल सिंहपुर), थाईलैंड (मूल स्याम देश) और म्यांमार (मूल ब्रह्म देश आज भी हिंदू पूर्वजों के महान और उदात्त शासन एवं संस्कृति का गौरव और कृतज्ञता के साथ स्मरण करते हैं। थाईलैड के विश्व विख्यात अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम वहां के वर्तमान सम्राट रामनवम राजा भूमिबल अतुल्य तेज ने स्वर्ण भूमि रखा है। हिन्दुओं और बौद्धों का विश्व व्यापी विस्तार मैत्री, करुणा और विद्या के प्रभाव से हुआ न कि तलवार और जबरदस्ती के बल से।
आज उन्हीं हिंदुओं के उत्तराधिकारी दक्षिण एशिया में अमानुषिक दमन, अत्याचार तथा पलायन के शिकार बन रहे हैं। पाकिस्तान में आजादी के समय 13 प्रतिशत हिंदू−सिख जनसंख्या थी, आज वे एक प्रतिशत से भी कम हैं। विभाजन के समय नेहरू−लियाकत पैक्ट में पाकिस्तान में हिंदू−सिख अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की गारंटी की बात हुई थी।
मुहम्मद अली जिन्ना ने भी पाकिस्तान की संविधान सभा में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के बारे में लंबे−चौड़े आश्वासन दिए थे, लेकिन समय के साथ वहां के हिंदू−सिख भीषण अत्याचारों के शिकार होते आ रहे हैं। यहां तक कि वहां के गुरुद्वारे पाकिस्तान वक्फ बोर्ड की व्यवस्था के अंतर्गत रखे गए, जिनके अधिकारी मुस्लिम होते हैं। पाकिस्तान की किसी पाठ्यपुस्तक में महाराजा रणजीत सिंह के राज के बारे में एक शब्द भी नहीं पढ़ाया जाता, जबकि उनकी राजधानी लाहौर थी। लाहौर को भगवान रामचंद्र के बेटे लव ने बसाया, यह बात पाकिस्तान के पर्यटन विभाग के साहित्य में अभी तक कही जाती रही है, लेकिन कहीं भी लव के बारे में कुछ पढ़ाया नहीं जाता। बल्कि लव के अनुयायी जबरन धर्मांतरण और अपहरण के शिकार बनाए जा रहे हैं। एक महीना हो गया बलूचिस्तान में विश्व प्रसिद्ध माता हिंगलाज शक्तिपीठ के महंत का अपहरण हुए लेकिन अभी तक उनका कोई समाचार नहीं मिला। विशेषकर सिंध क्षेत्र से हर महीने दस से बारह हिंदू युवतियों के अपहरण और जबरन धर्मांतरण के बाद मुस्लिम लड़कों से विवाह के समाचार आते हैं। हाल ही में सिन्ध−हैदराबाद क्षेत्र से रिंकल कुमारी का अपहरण कर लिया गया उसके पिता किसी तरह पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट पहुंचकर रोए और फरियाद की। पुलिस कोर्ट ने रिंकल कुमारी को बुलाया, उसने बयान दिया कि वह जान दे देगी पर अपना धर्म नहीं बदलेगी और मुस्लिम घर में शादी नहीं करेगी। लेकिन लगातार बलात्कार और मुस्लिम कट्टरपंथियों के धमकाने के आगे 15 दिन बाद रिंकल ने भी अपना बयान बदलकर खुद को किस्मत के हवाले कर दिया। ऐसे सैकड़ों मामलों में हिन्दू लड़कियों के मां−बाप जिंदगीभर रोते हैं और अपनी बेटी की दुर्दशा देख−देखकर जिंदा लाश की तरह जीने पर मजबूर होते हैं। पिछले वर्ष ईद के दिन बकरे हलाल करने के बजाए पेशावर में चार युवा हिन्दू डॉक्टरों का कत्ल किया गया।
जब श्री लालकृष्ण आडवाणी पाकिस्तान गए थे, तो महाभारतकालीन कटास राजमंदिर के पुनर्निर्माण के लिए पाकिस्तान सरकार ने वायदा किया था और दस करोड़ रुपये अनुदान की घोषणा की थी। आज तक एक मिलीमीटर काम भी नहीं हुआ। पिछले माह जब मैं लोकसभाध्यक्ष श्रीमती मीरा कुमार के साथ इस्लामाबाद गया तो पाकिस्तान मुस्लिम लीग के अध्यक्ष चौ. शुजात हुसैन ने कहा कि वे प्रधानमंत्री गिलानी से दरख्वास्त कर रहे हैं कि कम से कम वर्तमान माहौल में तो वे कुछ काम शुरू करवा दें। ये पाकिस्तान के उन नेताओं की कथनी और करनी का उदाहरण है जो भारत आते हैं तो मोहब्बतों के सागर दिखा देते हैं। कराची में मैंने स्वयं वहां के शिव मंदिर में हिन्दू पुजारियों को अर्द्ध चंद्राकार मुस्लिम टोपी पहने पूजा कराते देखा। उन्होंने बताया कि सुरक्षा के लिए ऐसा करना ही पड़ता है।
भूटान से एक लाख से अधिक उन हिंदुओं को निकाल दिया गया, जो कई पीढियों से भूटान में जन्मे, पले−बढ़े और वहां के नागरिक थे। उनका साथ भारत ने नहीं दिया बल्कि ब्रिटेन, अमेरिका और जर्मनी ने उन्हें शरणार्थी दर्जा देकर अपने यहां शरण दी।
नेपाल में वहां का हिंदू राष्ट्र का संवैधानिक दर्जा केवल भावनात्मक था। वहां मुसलिमों को भी वही अधिकार थे, जो हिंदुओं को मिले। शाही महल के ठीक सामने जामा मस्जिद का निर्माण किया गया। मुस्लिम केन्द्रीय मंत्री बने। लेकिन हिंदू शब्द से नफरत करने वाले सेक्यूलरवाद की हवा और वामपंथी प्रभाव में वहां का न केवल हिंदू राष्ट्र वाला दर्जा खत्म किया गया, बल्कि पचास हजार से अधिक ऐसे स्वयंसेवी संगठन खुले, जो बहुत बड़े पैमाने पर नेपाल की गरीब और भोली−भाली जनता के बीच धर्मांतरण तथा भारत−विरोधी भावना फैलाने का काम कर रहे हैं। इन स्वयंसेवी संगठनों को यूरोप और अमेरिका के कट्टर चंर्च संगठनों से ही नहीं बल्कि सऊदी अरब से भी भारी सहायता मिल रही है।
वर्ष 1947 में बांग्लादेश में 30 प्रतिशत हिंदू जनसंख्या थी। 1991 की जनसंख्या के अनुसार वहां से दो करोड़ हिंदू 'गायब' पाए गए। आज वहां केवल 10 प्रतिशत हिंदू जनसंख्या है। वहां के हिन्दुओं की दुर्दशा अपने उपन्यास लज्जा में लिखने के कारण तस्लीमा नसरीन का बंगला देश के मुल्लाओं ने इतना विरोध किया कि उन्हें निर्वासन झेलना पड़ा और जब वे भारत आयीं तो यहां भी उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा। वहां शत्रु संपत्ति अधिनियम जिसके नाम से 1974 में शत्रु शब्द हटा दिया गया, हिन्दुओं की सम्पत्ति जब्त करने का शासकीय हथियार बन गया है और बचे−खुचे हिंदुओं की 44 प्रतिशत जनसंख्या इस अधिनियम के कारण पूरी या कुछ संपत्ति गंवा चुकी है। भारत मित्र कही जाने वाली अवामी लीग की शेख हसीना के शासन के बावजूद हिन्दू मंदिरों पर हमले और हिंदू युवतियों के अपहरण की घटनाएं बढ़ी ही हैं। बांग्लादेश को इस्लामी गणतंत्र घोषित करने के बाद हिंदुओं की आवाज और दब गई है।
सब देशों से दोस्ती हो और कोई किसी के आंतरिक मामले में दखल न दे, यह बात सब मानते हैं, लेकिन यदि भारत, फिलिस्तीन, मालदीव और श्रीलंका के मानवाधिकारों पर न केवल राष्ट्र संघ में आवाज उठाता है बल्कि उन देशों में अपने राजकीय प्रतिनिधिमंडल भेजकर समाधान का प्रयास करता है, तो केवल हिंदुओं के बारे में शासन और राजनीतिक पार्टियों द्वारा सन्नाटा ओढ़ना क्या न्यायोचित है?

क्या यह सच है???????????????????

जय बाबा बनारस।...

4 comments:

  1. @क्या यह सच है???????????????????


    यही सच है.

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  2. shhhhhhhhhhhhhhhhhhh, सद्भाव और धर्मनिरपेक्षता खतरे में पड़ जायेगी कौशल जी.

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  3. आँखे खोलती जानकारी. सोच कर भी आश्चर्य हो रहा है.

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  4. तरुण विजय सब जानते हैं. भारत में हिंदुओं (कहें तो दलितों) पर होते अत्याचार पर वे कम ही लिखेंगे. उनके हिंदूवाद की परिभाषा कुछ अलग-सी ही है. पाकिस्तान के हिंदुओं में भी अधिकतर दलित हैं जिन पर अत्याचार होता है. उनकी आवाज़ (?) उठा कर तरुण स्थानीय हिंदूवादी हीरो बन जाते हैं. क्या बात है तरुण जी की.

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