एक बार एक कसाई के पास उसका एक दोस्त उससे मिलने गया. वहा उसने देखा कि एक बड़े से पिंजरे नुमा घर में ढेर सारे बकरे कैद हैं और आपस में बड़े ही मस्ती के साथ खेल रहे हैं, और उसी पिंजरे से वह् कसाई एक एक करके बकरे को बाहर निकाल कर उसे काट रहा है, और उसका मांस बेच रहा है.
उस कसाई के दोस्त को यह नजारा बड़ा ही हैरान करने वाला लगा कि सारे बकरे पिंजरे कि जाली के माध्यम से अपने साथी बकरे को एक एक करके कसाई के द्वारा कटते देख् रहे हैं फिर भी वे खुश लग रहे हैं, और एक दुसरे के साथ खेलने में मशगूल हैं.
दोस्त ने कसाई से पूछा कि भाई ऐसा क्यों है , तो कसाई ने बताया कि, मैंने हर बकरे को अकेले में उसके कान में कह दिया है कि , भाई मैं सारे बकरे को हलाल करूँगा लेकिन तुम्हे छोड़ दूँगा.तुम्हे किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाउंगा , इसलिए तुम बिलकुल चिंता मुक्त हो कर खेलो और खुश रहो. और इसी वजह से ये सारे के सारे खुश हैं, किसी भी प्रकार का भय और विद्रोह कि भावना इनके मन में नही है.
कुछ इसी प्रकार की गलतफहमी हम आम आदमियों को हो गई है. हममें से ज्यादातर लोगों को ऐसा लगता है कि इस व्यवस्था पर मेरी पकड़ है, पहुँच है, इस लिए बाकी लोगों को परेशानी होगी मुझे नहीं.
इस व्यवस्था के जो फयदा उठने वाला शक्तिशाली वर्ग है, जिसमे सरकार, समाज के बड़े-बड़े पैसे वाले, और हर धर्म और जाती के बड़े बड़े सामंत हैं वे हमें इसी प्रकार के गलतफहमी में डाल रखे हैं. और हम इनके साज़िश में आ कर बेपरवाह हैं. और एक एक करके हम आम आदमी अपने साथियों को इस व्यवस्था के द्वारा हलाल होते देख् रहे हैं फिर भी खुश हो कर अपनी दुनिया में मस्त हैं..
जय बाबा बनारस ....
उस कसाई के दोस्त को यह नजारा बड़ा ही हैरान करने वाला लगा कि सारे बकरे पिंजरे कि जाली के माध्यम से अपने साथी बकरे को एक एक करके कसाई के द्वारा कटते देख् रहे हैं फिर भी वे खुश लग रहे हैं, और एक दुसरे के साथ खेलने में मशगूल हैं.
दोस्त ने कसाई से पूछा कि भाई ऐसा क्यों है , तो कसाई ने बताया कि, मैंने हर बकरे को अकेले में उसके कान में कह दिया है कि , भाई मैं सारे बकरे को हलाल करूँगा लेकिन तुम्हे छोड़ दूँगा.तुम्हे किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाउंगा , इसलिए तुम बिलकुल चिंता मुक्त हो कर खेलो और खुश रहो. और इसी वजह से ये सारे के सारे खुश हैं, किसी भी प्रकार का भय और विद्रोह कि भावना इनके मन में नही है.
कुछ इसी प्रकार की गलतफहमी हम आम आदमियों को हो गई है. हममें से ज्यादातर लोगों को ऐसा लगता है कि इस व्यवस्था पर मेरी पकड़ है, पहुँच है, इस लिए बाकी लोगों को परेशानी होगी मुझे नहीं.
इस व्यवस्था के जो फयदा उठने वाला शक्तिशाली वर्ग है, जिसमे सरकार, समाज के बड़े-बड़े पैसे वाले, और हर धर्म और जाती के बड़े बड़े सामंत हैं वे हमें इसी प्रकार के गलतफहमी में डाल रखे हैं. और हम इनके साज़िश में आ कर बेपरवाह हैं. और एक एक करके हम आम आदमी अपने साथियों को इस व्यवस्था के द्वारा हलाल होते देख् रहे हैं फिर भी खुश हो कर अपनी दुनिया में मस्त हैं..
जय बाबा बनारस ....
मोटे बकरों को पहले हलाल होना ही चाहिए.
ReplyDeleteसच है, यही हाल है, सब सोचते हैं कि वे सुरक्षित रहेंगे।
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