Thursday, September 16, 2010
शिकार और शिकारी
आज सुबह सुबह एक अजीब नज़ारा देखा एक बिल्ली चूहा के पिंजरे के पास बेठी थी वाह चूहा के बाहर निकालने का इन्तिज़ार कर रही थी ,कभी वो पिंजरे को कभी चूहा को देखती है ,कुछ समाई के बाद हमारी निगाह उस पर पड़ी ,हमेना उसको वह से भगाया ,देखा की बिल्ली के ऊपर एक कुत्ता की निगाह थी ,तब जा के कुछ समझ मैं आया की यह दुनिया शिकारियो से भरी पड़ी है ,सब एक दुसरे का शिकार करना चाहते है -----बस एक मौके की तलास मैं रहेते है ,की जब बिल्ली चूहा का शिकार करती है तो एक कुत्ता उसका इन्तिज़ार कर रहा होता है ---
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समाज
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लगता है - आज साहेब भी कुछ शिकार के मूड में है........
ReplyDeleteतभी तो शिकार पर PhD कर डाली.
बहुत सच कहा है आपने .... आज कि दुनिया में तो हर एक से बढ़कर एक शिकारी है !
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