Wednesday, September 29, 2010

जो फैसला---फासला बढा दे वोह फैसला किसी को मंजूर नहीं

कोई भी फैसला जो आपस की दुरिया बढ़ता हो किसी को भी मंजूर नहीं है
कई दिनों से देश के अंदर लोगो के अंदर एक दर सा बना हुआ है कि अगर फैसला आया तो क्या होगा
कोइए खुश होगा होगा कोइए नाराज होगा जो खुस होगा वोह खुसी का इजहार करेगा जो नाराज होगा
वोह naragi का इजहार करेगा
अब आदमी का इजहार का तरीका बदल चुका है ,वोह कैसे अपने प्यार और गुस्सा का इजहार कैसे करेगा ।
यह कोइए नहीं जनता है ,हर आदमी डरा हुआ है ,
आज सुबह घर से फ़ोन आया कि छुट्टी में घर आने कि जरुरत नहीं है ,घर में खाने का सामान भर कर रखना
कुछ भी हो सकता है ,अब आप बताये हम लोग क्या करे ,
घर से निकलने छोड़ दे ,
चारो तरफ पुलिस ही पुलिश नज़र आ रही है ,कई लोगो से बातचीत हुए सब डरे है वोह किसी भी धरम कई हो
हम तो एक बात जानते है कि दंगो में मरने वाला न तो हिन्दू होता है न ही मुस्लमान होता
वोह किसी का भी,किसी का बाप,किसी का बेटा य किसी कई घर का chirag होता है
जब तक उजाला नहीं होता है तब तक कोइए चिराग को भी नहीं बुझाता है ,
इस सममाया मै सभी लोओग samajhdari kai साथ काम ले
जो फैसला दुरिया कमकरता है हम सबको मंजूर है

5 comments:

  1. भैया बड़े उच्च विचार हैं आपके.

    "हम तो एक बात जानते है कि दंगो में मरने वाला न तो हिन्दू होता है न ही मुस्लमान होता"

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  2. सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे!

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  3. I totally agree with you.. but ultimately what ever structure is created there will it fill the stomach of the needy?

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