Tuesday, October 12, 2010

जिंदगी की तलास में शाम को दो पेग

आज दीपक बाबा जी के ब्लॉग पर के दिनों के बाद गए
वह जाकर देखा की दीपक जी शांति की तलास में आज कल घूम रहे है
जिंदगी की तलाश में शाम को दो पैग
लोगो की जिंदगी का हिस्सा बनते जा रहे है
पता नहीं कियो लोग इन पैग का सहारा ले रहे है
यह बात समाज h में नहीं आती है
आज का समाज बदल रहा है
शान्ति का दान दीजिए.........
कृपया शांत रहिये........
जैसे शब्द कई जगह लिखे होते हैं..... कई बार सोचते थे की शांत ही तो हैं.
पर ८-१० घंटे घर में बिलकुल एकांत में बैठने पर ये बात समझ आ जाती है. मोबाइल को स्विच ऑफ कर दीजिए...... लैंड लाइन फोन उठा कर रख दीजिए........... सौगंध खाइए ....... की किसी भी स्क्रीन के सामने नहीं बैठेंगे. खुद चाय भी मत बनाइये.......... किताबों को भी शेल्फ में रखी रहने दो..
शांति........
अनंत शान्ति.............
सुई भी नहीं गिर रही..........
भाई दीपक जी शांति दो चीस का प्रतीक है
१.शांति शक्ति का प्रतीक है।
२.शांति ---समुंदर जब शांत होता है तब किसी बड़े तूफ़ान आने का संकेत होता है ।
जरुरत से जयादा शांति ठीक नहीं है
अब बात करते है दीपक जी के दो पेग की
भाई दीपक जी किसी ने कह है
जाम पे जाम पी रहा है ,रात भर पी ये गा सुबह उतर जायगी
दो घुट उनकी नजरो से पी जालिम ,तेरी जिंदगी नसे में गुजर जायगी
भाई दीपक जी अभी इतना ही

3 comments:

  1. क्या खूब लिखा आपने...मजेदार. कभी 'पाखी की दुनिया' की भी सैर पर आयें .

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  2. हम तो इमोशनल होके लिख दिया...... अब काहे भाई सरे बाजार चर्चा कर रहे हो.

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  3. bhai deepak babaji
    jab parcha chap gaya to charcha jaruri hai na

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