Tuesday, October 12, 2010

बहुत ही सुंदर चर्चा शुरु की है तन भी सुंदर मन भी सुंदर

सुंदर और सुन्दरता हर आदमी अपनी इन सुंदर सुंदर आखो से देखना चाहता है
सुन्दरता का कोइए पैमाना नहीं होता है
सबका अपना अपना अपना पैमाना होता है
लकिन सुन्दरता सबको अच्काच्ची लगती है
एक बार ऋषि अस्तावाक्र की माँ से किसी नै पूछा
की आप को दुनिया में सबसे सुंदर क्या लगता है
उनका जबाब था मेरा बेटा अस्त्त्तावाक्र ( जबकि ऋषि असता विक्रा आठ जगह से टेढ़ा थे )
तन भी सुंदर मन भी सुंदर तुम सुन्दरता की -------

2 comments:

  1. सुंदर और ख़ूबसूरत गीत याद दिला दिया.....

    तन भी सुंदर....
    मन भी सुंदर.

    तुम सुंदरता की मूरत हो.

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  2. bhai deepak ji hum kiya kare
    jab kuch aaisa waisa likhate hai tab aap hi log
    pata nahi aap log kiya kiya jumle dete hai

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