मुझे बहुत ताज्जुब हुई की एक दोस्त ने कहा कि २-४ महीने के बात सूअर का मांस खा लेना चाहिए ? एक ब्राह्मण से आईसी बात ? मुझे ताज्जुब हुवा. वो बोले घबराओ मत.... जो इंसान सूअर का मांस खा लेता है तो उस पर मुस्लिम तांत्रिक का किया कराया नहीं लगता..... मैंने कहा, अमा क्या बात कर रहे हो... क्या आज के यूग में भी किएय कराये की बात कर रहे हो.
वो बोला, हमारी पंजाबी सम्युदाय में तो है, पता नहीं और लोगों में भी हो सकता है,- कि सूअर का दांत सोने के लोकेट में गढ़वा कर बच्चे के गले में दाल दो तो उसको नज़र नहीं लगती.... ज्यादा रोता नहीं, दूध बक्त से पी लेता है.
अच्छा, मुझे ताज्जुब हुवा....
पर वो तो आज हमारे ज्ञान चाक्षुक खोलने का मूड बना रखे थे..
बोले आपको मालूम है कित्ता सूअर का मांस निर्यात होता है....
जाहिर सी बात है, हमने हमें आयात और निर्यात के बारे में कुछ भी नहीं मालूम ... और मांस के निर्यात में तो बिलकुल ही नहीं.... सो स्वाभाविक रूप से हमने ‘न’ में अपनी गर्दन हिला दी...
उनका उपदेश जारी रहिया..
यूरोप देशों में सूअर के मांस का बहुत प्रचालन है...... हिन्दुस्तान से काफी मात्र में सूअर का मांस निर्यात होता है ... जिससे देश जो बहुत मात्र में विदेश आय होती है.
दूसरी बात, सूअर पलने में ज्यादा दिक्कत भी नहीं है, जैसे की भैंस, बकरी या अन्य कोई दुधारू जानवर पालने में है.... आप पिगरी फार्म खोलिए..... दो चार शादी गृह वालों से कोंटेक्ट रखिये और बचा हुवा फालतू खाना आपके पिगरी फार्म में भेज देंगेई....
सूअर प्रजजन बहुत ज्यादा करता है और बच्चे भी बहुत ज्यादा पैदा करता है.... उस फार्म में एक तालाब भी बनवाओ – जिसमे की मच्छली पालन होगा... सूअर की विष्टा मछली के लिए आहार है.... बहुत अच्छा आहार...... मछली देश में बेचो और सूअर विदेश में.
सूअर के बच्चे भी जल्दी बदते है...... यानी प्रोडक्शंन चालू..... मांस बहुत तेज़ी से बढता है – आप किसी भी जानवर से उसकी तुलना कर लें........
जिसको वज़न बदाना है तो सबसे आसान उपाय : सूअर के मांस खाया जाए...... तुरंत चमत्कारी रूप से वज़न बदता है....
ऐसा भी होता है, मुझे सुन कर बहुत ताज्जुब हुवा.......
आपके सुझाव के लिए कोमेंट्स बॉक्स खुला है..
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ReplyDeleteअपने अपने लाभ और स्वार्थ हेतु लोग अपनी अपनी परिभाषायें गढ़ लेते हैं...
ReplyDeleteठेल-ठेलानानन -जय हो पूर्वांचल की मस्ती..
ReplyDeleteno comments learn by watch.
अपने अपने लाभ और स्वार्थ हेतु लोग अपनी अपनी परिभाषायें गढ़ लेते हैं..
ReplyDeletesahi kaha
पूर्वांचल की मस्ती..
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भैया हमरा वजन वैसे भी बहुत ज्यादा..........
ReplyDeleteविदेशी मुद्रा की बढिया कही
baba kuch वजन kam karo bahut meethai khai hai deewali se laker aaj tak---
ReplyDeleteपूर्वांचल की मस्ती..
ha ha ha behtarin.
ReplyDeleteजो लोग ब्लागिंग के जरिए कमा पाने में फेल हों उनके सामने आपने आशा की किरण नहीं वरन पूरा सूरज ही उगा दिया है बाबू .
ReplyDeleteNice पोस्ट .
ReplyDeleteचाँद है जेरे कदम और सूरज खिलौना हो गया
हां , मगर इन्सान का किरदार बौना हो गया .
bhai hum to aaj bhee blogging se kuch n kuch kama rahe hai.
ReplyDeleteAccha ee susar suwar bhi videsh jane laga hai, tab to sochna padega.
ReplyDeleteAur agar galti se pal liya to sasura jati-biradari se bahar