अगर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं,
खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं ,
रोक पाए न जिसको ये सारी दुनिया,
वोह एक बूँद आँख का पानी हूँ
मैं.....सबको प्यार देने की आदत है हमें,
अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमे,
कितना भी गहरा जख्म दे कोई,
उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है
हमें...इस अजनबी दुनिया में अकेला ख्वाब हूँ मैं,
सवालो से खफा छोटा सा जवाब हूँ मैं,
जो समझ न सके मुझे,
उनके लिए "कौन"जो समझ गए उनके लिए खुली किताब हूँ मैं,
आँख से देखोगे तो खुश पाओगे,
दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूँ मैं,,
,,,"अगर रख सको तो निशानी,
खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं
भाई किसी मित्र ने ऑरकुट पर मेल की है अब आप के सामने है
Veey good poem
ReplyDeleteshare karne ke liye thanks
bhai deepak ji aaj chutti mana rahe hai.
ReplyDeleteachhi aur sidhi sahi baat
ReplyDelete"अगर रख सको तो निशानी,
ReplyDeleteखो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं
sach bahut hi sundar kavita hai ye
मासूम अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत अच्छा पुरविया जी।
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति है।
rachana ji,navin ji,
ReplyDeleteaap logo ka aana aacchha laga,
sadhanavad.
pandey ji मासूम अभिव्यक्ति।
ReplyDeletesahi keha
manoj bhai ko ram ram bahut dino ke baad aaue sab kuch theek chal raha hai.
यही ठीक है :-)
ReplyDeleteचाहे जिसकी भी है मगर बहुत बढिया है।
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