Sunday, November 28, 2010

उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है

अगर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं,

खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं ,

रोक पाए न जिसको ये सारी दुनिया,

वोह एक बूँद आँख का पानी हूँ

मैं.....सबको प्यार देने की आदत है हमें,

अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमे,

कितना भी गहरा जख्म दे कोई,

उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है

हमें...इस अजनबी दुनिया में अकेला ख्वाब हूँ मैं,

सवालो से खफा छोटा सा जवाब हूँ मैं,

जो समझ न सके मुझे,

उनके लिए "कौन"जो समझ गए उनके लिए खुली किताब हूँ मैं,

आँख से देखोगे तो खुश पाओगे,

दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूँ मैं,,

,,,"अगर रख सको तो निशानी,

खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं

भाई किसी मित्र ने ऑरकुट पर मेल की है अब आप के सामने है

10 comments:

  1. Veey good poem
    share karne ke liye thanks

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  2. bhai deepak ji aaj chutti mana rahe hai.

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  3. "अगर रख सको तो निशानी,
    खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं

    sach bahut hi sundar kavita hai ye

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  4. बहुत अच्छा पुरविया जी।
    सुंदर अभिव्यक्ति है।

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  5. rachana ji,navin ji,
    aap logo ka aana aacchha laga,
    sadhanavad.

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  6. pandey ji मासूम अभिव्यक्ति।

    sahi keha
    manoj bhai ko ram ram bahut dino ke baad aaue sab kuch theek chal raha hai.

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  7. चाहे जिसकी भी है मगर बहुत बढिया है।

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