महामूर्ख दरबार में, लगा अनोखा केसफसा हुआ है मामला,
अक्ल बङी या भैंसअक्ल बङी या भैंस, दलीलें बहुत सी आयींमहामूर्ख दरबार की अब,
देखो सुनवाईमंगल भवन अमंगल हारी- भैंस सदा ही अकल पे भारी
भैंस मेरी जब चर आये चारा- पाँच सेर हम दूध निकाराकोई
अकल ना यह कर पावे- चारा खा कर दूध बनावेअक्ल घास जब चरने जाये-
हार जाय नर अति दुख पायेभैंस का चारा लालू खायो-
निज घरवारि सी।एम। बनवायोतुमहू भैंस का चारा खाओ-
बीवी को सी।एम. बनवाओमोटी अकल मन्दमति होई- मोटी भैंस
दूध अति होईअकल इश्क़ कर कर के रोये- भैंस का
कोई बाँयफ्रेन्ड ना होयेअकल तो ले मोबाइल घूमे-
एस।एम।एस। पा पा के झूमेभैंस मेरी डायरेक्ट पुकारे-
कबहूँ मिस्ड काल ना मारेभैंस कभी सिगरेट ना पीती- भैंस बिना दारू के जीतीभैंस
कभी ना पान चबाये - ना ही इसको ड्रग्स सुहायेशक्तिशालिनी
शाकाहारी- भैंस हमारी कितनी प्यारीअकलमन्द को
कोई ना जाने- भैंस को सारा जग पहचानेजाकी
अकल मे गोबर होये- सो इन्सान पटक
सर रोयेमंगल भवन अमंगल हारी- भैंस का गोबर अकल पे भारीभैंस
मरे तो बनते जूते- अकल मरे तो पङते जूते...
@-भैंस मरे तो बनते जूते- अकल मरे तो पङते जूते...
ReplyDeleteवाह पुरविया जी जबरदस्त प्रस्तुति। निसंदेह आजकल भैंस ही बड़ी है।
अच्छा व्यंग्य है ...अक्ल बड़ी या भैंस बड़ी ..यह हर व्यक्ति के लिए अलग ..अलग समीकरण बनती है ...शुक्रिया .
ReplyDeleteनव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें ..स्वीकार करें, देर से आने के लिए माफ़ी .....आपका अनुसरण कर लिया ....नव वर्ष पर और क्या तोहफा दिया जा सकता है ...शुक्रिया
भैंस ही बहुत बड़ी हो रही है, अकल छोटी होती जा रही है।
ReplyDeleteभैंस बड़ी है
ReplyDeleteपुरविया जी जबरदस्त प्रस्तुति।
bahut khoob!
ReplyDeletevastav me aaj bhains akl par bhari hai.
भैंस मरे तो बनते जूते- अकल मरे तो पङते जूते...
ReplyDeleteअकल पर भैंस भारी । पुरविया जी बहुत ही सुन्दर व्यंग्य ।
ReplyDeleteअकल का क्या काम...??
ReplyDeleteगज़ब की पोस्ट है...पूरा भैंस चालीसा है...वाह...आनंद आ गया...
ReplyDeleteनीरज
जय श्री कृष्ण...आपका लेखन वाकई काबिल-ए-तारीफ हैं....नव वर्ष आपके व आपके परिवार जनों, शुभ चिंतकों तथा मित्रों के जीवन को प्रगति पथ पर सफलता का सौपान करायें ...
ReplyDeleteअपने ब्लॉग में लगाये घडी
http://hinditechblogs.blogspot.com/2011/01/blog-post.html