Tuesday, January 4, 2011
बुद्धि और विद्या का संगम
किसी ब्राह्मण के चार पुत्र थे। उनमें परस्पर गहरी मित्रता थी। चारों में से तीन तो शास्रों में पारंगत थे, लेकिन उनमें बुद्धि का अभाव था। चौथे ने शास्रों का अध्ययन तो नहीं किया था, लेकिन वह था बड़ा बुद्धिमान। एक बार चारों भाइयों ने परदेश जाकर अपनी-अपनी विद्या के प्रभाव से धन अर्जित करने का विचार किया। चारों पूर्व के देश की ओर चल पड़े। रास्ते में सबसे बड़े भाई ने कहा-‘हमारा चौथा भाई तो निरा अनपढ़ है। राजा सदा विद्वान व्यक्ति का ही सत्कार करते हैं। केवल बुद्धि से तो कुछ मिलता नहीं।विद्या के बल पर हम जो धन कमाएंगे, उसमें से इसे कुछ नहीं देंगे। अच्छा तो यही है कि यह घर वापस चला जाए।’ दूसरे भाई का विचार भी यही था। किंतु तीसरे भाई ने उनका विरोध किया। वह बोला-‘हम बचपन से एक साथ रहे हैं, इसलिए इसको अकेले छोड़ना उचित नहीं है। हम अपनी कमाई का थोड़ा-थोड़ा हिस्सा इसे भी दे दिया करेंगे।’ अतः चौथा भाई भी उनके साथ लगा रहा। रास्ते में एक घना जंगल पड़ा। वहां एक जगह हड्डियों का पंजर था। उसे देखकर उन्होंने अपनी-अपनी विद्या की परीक्षा लेने का निश्चय किया। उनमें से एक ने हड्डियों को सही ढंग से एक स्थान पर एकत्रित कर दिया। वास्तव में ये हड्डियां एक मरे हुए शेर की थीं। दूसरे ने बड़े कौशल से हड्डियों के पंजर पर मांस एवं खाल का आवरण चढ़ा दिया। उनमें उसमें रक्त का संचार भी कर दिया। तीसरा उसमें प्राण डालकर उसे जीवित करने ही वाला था कि चौथे भाई ने उसको रोकते हुए कहा, ‘तुमने अपनी विद्या से यदि इसे जीवित कर दिया तो यह हम सभी को जान से मार देगा।’ तीसरे भाई ने कहा, ‘तू तो मूर्ख है!’मैं अपनी विद्या का प्रयोग अवश्य करुंगा और उसका फल भी देखूंगा।’ चौथे भाई ने कहा, ‘तो फिर थोड़ी देर रुको। मैं इस पेड़ पर चढ़ जाऊं, तब तुम अपनी विद्या का चमत्कार दिखाना।’ यह कहकर चौथा भाई पेड़ पर चढ़ गया।तीसरे भाई ने अपनी विद्या के बल पर जैसे ही शेर में प्राणों का संचार किया, शेर तड़पकर उठा और उन पर टूट पड़ा। उसने पलक झपकते ही तीनों अभिमानी विद्वानों को मार डाला और गरजता हुआ चला गया। उसके दूर चले जाने पर चौथा भाई पेड़ से उतरकर रोता हुआ घर लौट आया। इसीलिए कहा गया है कि विद्या से बुद्धि श्रेष्ठ होती है।
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bahut hi achchhi sheekh deti hui prernadayak katha.... sunder prastuti.
ReplyDeleteनिसंदेह , विद्या से बुद्धि श्रेष्ठ होती है।
ReplyDeleteविद्या से बुद्धि श्रेष्ठ होती है।
ReplyDeleteसुन्दर प्रसंग
विद्या अभिमान लाती है, बुद्धि उस अभिमान को आने से रोकती है।
ReplyDeleteसुन्दर कथा ... शिक्षा प्रद ...
ReplyDelete'vidya se badi buddhi'
ReplyDeleteshikshaprad kahani..achchhi lagi.
विद्या से बुद्धि श्रेष्ठ होती है !
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