Friday, June 3, 2011

एक अनोखा ब्लोग्गर और अनोखी प्रेमकथा .....

विद्रोही प्रवृति का इन्सान हूँ..और यही मेरे व्यक्तित्व का सम्बल और कमजोर पक्ष दोनों है ... मैं चिंगारी को कुचलने की जगह चिंगारी को हवा दे कर हर एक उस सामाजिक परिवारिक या व्यक्तिगत व्यवस्था में एक क्रांति लाने का विचारक हूँ .
जी, ये आशुतोष की कलम है.....


ये ऐसा ब्लोग्गर बंधू जब कहानी लिखने की कोशिश करता है तो .... वहाँ भी सफल होता है....


जूही-इरफ़ान प्रेम-कथा ...... न जन्म का हो बंधन...


भावनाओं से ओत-प्रोत कहानी है...  एक ऐसी युवती की जो विधर्मी के प्रेम पाश में फंस जाती है..... और शयद ये प्रेरणा उसे जोधा-अकबर फिल्म से मिली हो...


हालाँकि कहानी का प्रथम अंक ही अभी ब्लॉग पर आया है : और प्रबुद्ध ब्लोग्गर बन्धुं की सुखद और उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया मिली है. कहानी के अगले भाग का सभी को बेताबी से इन्तेज़ार रहेगा... 


और मैं ये कामना करता हूँ की आशुतोष जी ऐसी ही सामाजिक कविताओं, कहानियों और लेखों द्वारा ब्लॉग जगत को समृद्ध करेंगे ...


आमीन.


4 comments:

  1. सशक्त कहानी है, पढ़ ली।

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  2. @जी, ये आशुतोष की कलम है.....


    paramaatma inki lekhni ko shakti pradaan kare
    kahani padi thi, badiya lagi.

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  3. इनके कमेंट्स तो कई जगह पढ़े हैं और प्रभावित भी करते हैं, आज ब्लॉग तक भी जाकर आते हैं। आभार स्वीकारिये मिश्रा जी।

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  4. जरूर. उत्सुकता बढ़ गयी ब्लॉग पर जा कर देखते है, धन्यबाद मिश्र जी.

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