Wednesday, January 4, 2012

काशी बनारस के कबीर दास..................


काशी बनारस के कबीर दास....काशी के इस अक्खड़, निडर एवं संत कवि का जन्म लहरतारा 
के पास सन् १३९८ में ज्येष्ठ पूर्णिमा को हुआ।
कबीर की वाणी..
१.बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर।।

2.पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय।।

३.जाति न पूछो साधु की पूछ लीजिये ज्ञान।
मोल करो तलवार का पड़ा रहने दो म्यान।।
४.पाहन पूछे हरि मिले तो मैं पूजूँ पहार ।
ताते यह चाकी भली पीस खाय संसार।।
४.कंकर पत्थर जोरि के मस्जिद लयी बनाय।
ता चढ़ि मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय।।

जय बाबा बनारस.............................

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर दोहे| धन्यवाद|

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  2. कौशल जी, आज भी ग्रामीण परवेश में कबीर को गया जाता है... बेशक हम पढेलिखे भद्रजन उन्हें भूल गए हों तो .

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  3. जय कबीर
    जय बाबा बनारस ...

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  4. कबीर का क्या कहना
    झीनी झीनी बीनी रे चदरिया
    ज्यों की त्यों धार दीनी

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