Tuesday, November 19, 2013

घंटी

रामदास एक ग्वाले का बेटा था. रोज सुबह वह अपनी गायों को चराने जंगल में ले जाता. हर गाय के गले में एक-एक घँटी बंधी थी. जो गाय सबसे अधिक सुन्दर थी उसके गले में घँटी भी अधिक कीमती थी.
एक दिन एक अजनबी जंगल से गुजर रहा था. वह उस सुन्दर गाय को देखकर रामदास के पास आया.
अजनबी :- यह घँटी बड़ी सुन्दर है क्या कीमत है इसकी......??
रामदास :- तीस रूपये.
अजनबी :- सिर्फ तीस रूपये, मै इस घँटी के सौ रूपये दे सकता हूँ ।
सुनकर रामदास खुश हो उठा. झटसे उसने घँटी उतारकर अजनबी को दे दी और सौ रूपये जेब में रख लिए. अब गाय के गले में कोई घँटी नहीं थी. घँटी की टुनक से उसे अंदाजा हो जाया करता था कि गाय कौनसी दिशा में, कितनी दूर है. अत: अब रामदास को यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया कि गाय कहाँ है. ---------जब गाय चरते-चरते दूर निकल आई तो अजनबी को मौका मिल गया. वह गाय को साथ लेकर चलता बना.
शाम को रामदास ने देखा कि सुन्दर गाय तो है ही नहीं . वह रोता हुआ घर पहुँचा और सारी घटना अपने पिता को सुनाई. उसने कहा, मुझे तनिक भी अनुमान नहीं था कि वह अजनबी मुझे घँटी के इतने अच्छे पैसे देकर ठग ले जायेगा.
पिता :- ठगी का सुख बड़ा खतरनाक होता है. पहले वह हमें प्रसन्नता देता है फिर दुःख, अत: हमें पहले ही से उसका सुख नहीं उठाना चाहिए.
शिक्षा :- लालच में आकर कोई काम न करें.
चुनावी महौल है, राजनैतिक नेता हमें तरह-तरह के लालच दे रहे हैं और देंगे । हमें इनके दिए तुच्छ लालच में नहीं आना है । क्योंकि हमारे वोट से जीतने पर यही नेता देश को कितना लूटेंगे, हम कल्पना भी नहीं कर सकते ।
वोट देते समय पार्टी को ध्यान में रखकर अपने "मत" का प्रयोग करें, ना कि स्थानीय नेता को ।।
धन्यवाद . . . . वन्देमातरम ।।

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