कुरबानी तो बडे पुण्य का काम
सच मुच कुरबानी तो बडे पुण्य का काम
आज कल कौन क़ुरबानी नहीं दे रहा है
आज कल हर आदमी क़ुरबानी दे रहा है।
एक बाप अपने बच्चओ की खातिर पता नहीं किस किस की क़ुरबानी देता है
एक पत्नी पता नहीं किस किस के क़ुरबानी देती है
एक कहावत है तुझ पे मै कुर्बान
आज कल सब स्वार्थ की क़ुरबानी है।
कुरबानी तो बडे पुण्य का काम
कोइए धरम के नाम पर कुर्बान है
कोइए शर्म के नाम पर कुर्बान है
कुर्सी की क़ुरबानी कोइए नहीं देता है.
मिसर जी, आपने तो आज सही मायने में कुर्बानी कि महत्ता समझा दी है
ReplyDeleteऔर सही बत्ताये तो आज कुर्बानी कि परिभाषा भी अपने मायने में उपस्तिथ है.....
आँखे खोलने वाली पंक्तियाँ ........
साधुवाद.....
हमारा देश भारतवर्ष अनेकता में एकता, सर्वधर्म समभाव तथा सांप्रदायिक एकता व सद्भाव के लिए अपनी पहचान रखने वाले दुनिया के कुछ प्रमुख देशों में अपना सर्वोच्च स्थान रखता है, परंतु दुर्भाग्यवश इसी देश में वैमनस्य फैलाने वाली तथा विभाजक प्रवृति की तमाम शक्तियां ऐसी भी सक्रिय हैं जिन्हें हमारे देश का यह धर्मनिरपेक्ष एवं उदारवादी स्वरूप नहीं भाता. .अवश्य पढ़ें धर्म के नाम पे झगडे क्यों हुआ करते हैं ? हिंदी ब्लॉगजगत मैं मेरी पहली ईद ,इंसानियत शहीद समाज को आज़ाद इंसान बनाया करते हैं
ReplyDeleteब्लोगेर की आवाज़ बड़ी दूर तक जाती है, इसका सही इस्तेमाल करें और समाज को कुछ ऐसा दे जाएं, जिस से इंसानियत आप पे गर्व करे.
ब्लोगेर की आवाज़ बड़ी दूर तक जाती है, इसका सही इस्तेमाल करें और समाज को कुछ ऐसा दे जाएं, जिस से इंसानियत आप पे गर्व करे. एस.एम.मासूम
ReplyDeleteकुर्सी की क़ुरबानी कोइ नहीं देता है ... सहमत!!
ReplyDeleteकुर्सी की क़ुरबानी कोइ नहीं देता है
ReplyDeleteबेहतरीन कटाक्ष,
आज हर आदमी रोज कुबार्नी दे रहा है
कुर्सी की क़ुरबानी कोइ नहीं देता है ... सहमत!!
ReplyDeletemanoj ji sahi samajh hai.
subah uthane se pahale need hi kurbani deni padti hai.
ReplyDeleteइन्सान अपनी मूर्खताओं की कुर्बानी दे सके तो फिर किसी ओर कुर्बानी की जरूरत ही न पडे....
ReplyDeletesateek vyang !
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