Saturday, November 20, 2010

कुरबानी तो बडे पुण्य का काम

कुरबानी तो बडे पुण्य का काम
सच मुच कुरबानी तो बडे पुण्य का काम
आज कल कौन क़ुरबानी नहीं दे रहा है
आज कल हर आदमी क़ुरबानी दे रहा है।
एक बाप अपने बच्चओ की खातिर पता नहीं किस किस की क़ुरबानी देता है
एक पत्नी पता नहीं किस किस के क़ुरबानी देती है
एक कहावत है तुझ पे मै कुर्बान
आज कल सब स्वार्थ की क़ुरबानी है।
कुरबानी तो बडे पुण्य का काम
कोइए धरम के नाम पर कुर्बान है
कोइए शर्म के नाम पर कुर्बान है
कुर्सी की क़ुरबानी कोइए नहीं देता है.

9 comments:

  1. मिसर जी, आपने तो आज सही मायने में कुर्बानी कि महत्ता समझा दी है
    और सही बत्ताये तो आज कुर्बानी कि परिभाषा भी अपने मायने में उपस्तिथ है.....

    आँखे खोलने वाली पंक्तियाँ ........
    साधुवाद.....

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  2. हमारा देश भारतवर्ष अनेकता में एकता, सर्वधर्म समभाव तथा सांप्रदायिक एकता व सद्भाव के लिए अपनी पहचान रखने वाले दुनिया के कुछ प्रमुख देशों में अपना सर्वोच्च स्थान रखता है, परंतु दुर्भाग्यवश इसी देश में वैमनस्य फैलाने वाली तथा विभाजक प्रवृति की तमाम शक्तियां ऐसी भी सक्रिय हैं जिन्हें हमारे देश का यह धर्मनिरपेक्ष एवं उदारवादी स्वरूप नहीं भाता. .अवश्य पढ़ें धर्म के नाम पे झगडे क्यों हुआ करते हैं ? हिंदी ब्लॉगजगत मैं मेरी पहली ईद ,इंसानियत शहीद समाज को आज़ाद इंसान बनाया करते हैं
    ब्लोगेर की आवाज़ बड़ी दूर तक जाती है, इसका सही इस्तेमाल करें और समाज को कुछ ऐसा दे जाएं, जिस से इंसानियत आप पे गर्व करे.

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  3. ब्लोगेर की आवाज़ बड़ी दूर तक जाती है, इसका सही इस्तेमाल करें और समाज को कुछ ऐसा दे जाएं, जिस से इंसानियत आप पे गर्व करे. एस.एम.मासूम

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  4. कुर्सी की क़ुरबानी कोइ नहीं देता है ... सहमत!!

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  5. कुर्सी की क़ुरबानी कोइ नहीं देता है
    बेहतरीन कटाक्ष,
    आज हर आदमी रोज कुबार्नी दे रहा है

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  6. कुर्सी की क़ुरबानी कोइ नहीं देता है ... सहमत!!

    manoj ji sahi samajh hai.

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  7. subah uthane se pahale need hi kurbani deni padti hai.

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  8. इन्सान अपनी मूर्खताओं की कुर्बानी दे सके तो फिर किसी ओर कुर्बानी की जरूरत ही न पडे....

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